जो कुछ हुआ समाज में वो ठीक हो गया,
इतना पिसा पहाड़ भी बारीक हो ऐसा|
वह तो गुनाहगार है तस्दीक हो गया,
इस हेतु राजतंत्र के नजदीक हो गया|
क्यों राजनीति में यहाँ विद्रोह-सा मचा,
धनवान आसमान पर आसीन हो गया|
सद्भावना मिठास की जिसमें असीम थी,
उस शीत का मिज़ाज भी नमकीन हो गया|
जिसको सुधार के लिए सम्मान था मिला,
वह अर्थ जाप यज्ञ में तल्लीन हो गया|
हिम के समान श्वेत जो पहचान थी कभी,
पहनाव उस फकीर का रंगीन हो गया|
जिसकी महानता तुका बेहद बखान की,
वह ठीक वक्त पर सुना दो तीन हो गया|
इतना पिसा पहाड़ भी बारीक हो ऐसा|
वह तो गुनाहगार है तस्दीक हो गया,
इस हेतु राजतंत्र के नजदीक हो गया|
क्यों राजनीति में यहाँ विद्रोह-सा मचा,
धनवान आसमान पर आसीन हो गया|
सद्भावना मिठास की जिसमें असीम थी,
उस शीत का मिज़ाज भी नमकीन हो गया|
जिसको सुधार के लिए सम्मान था मिला,
वह अर्थ जाप यज्ञ में तल्लीन हो गया|
हिम के समान श्वेत जो पहचान थी कभी,
पहनाव उस फकीर का रंगीन हो गया|
जिसकी महानता तुका बेहद बखान की,
वह ठीक वक्त पर सुना दो तीन हो गया|
No comments:
Post a Comment