Tuesday, March 25, 2014

चिंतन ओध

"**चिंतन ओध**"
लोकतन्त्र का उनके उर में, नहीं पनपता बोध,
सहन जो करते नहीं विरोध|
सहन जो करते नहीं विरोध||

राजनीति के विविध विरोधी, सहयोगी होते हैं,
तर्क विवेकी स्वच्छ नीर से, बैर मैल धोते हैं|
नव विकास के हेतु न चाहें, वे संवर्धन शोध,
सहन जो करते नहीं विरोध|
सहन जो करते नहीं विरोध|| 

एक जगह पर रूक जाने को, जड़ता माना जाता,
बीज न जो सड़ता गलत है, वो न पुनः उग पाता|
नवपरिवर्तन कभी न लाता, उनका चिंतन ओध,
सहन जो करते नहीं विरोध|
सहन जो करते नहीं विरोध||

जनसेवा के लिए सँभालें, जो भी शासन सत्ता,
उनके साथ राष्ट्र उपवन का, हँसता पत्ता-पत्ता| 
प्रायः न्याय नीतियाँ तज के, भग जाते वे योध,
सहन जो करते नहीं विरोध|
सहन जो करते नहीं विरोध||

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