Wednesday, June 17, 2015

सत्य भी है नहीं


एक पल दूर दिल से गया भी नहीं,
पास प्रतिपल रहा वो मिला भी नहीं|
सत्य भी है नहीं कल्पना भी नहीं,
सिर्फ विश्वास है ये सजा भी नहीं|
ये मुहब्बत नहीं तो कहो क्या सखे!
दर्द हरदम जिया पर सहा भी नहीं|
वो मुझे देखता नित्य ही प्यार से, 
वो भला भी नहीं वो बुरा भी नहीं|
क्यों उसे शायरों- सा मिले मर्तबा, 
जो करे शब्द की साधना भी नहीं|
ये नहीं भूलना ज़िन्दगी मे 'तुका',
काव्य करता कभी याचना भी नहीं|

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