Wednesday, June 24, 2015

न्याय की बातें


आग फिर घर में लगाता कौन है,
और आखिर में बुझाता कौन है?
धर्म यदि सद्कर्म की है रौशनी,
तो सदा नफ़रत सिखाता कौन है?
शक्ति का उद्देश्य है उपकार तो,
लूट की राहें बनाता कौन है?
सिर्फ कविता के अलावा विश्व में,
आदमीयत को बढ़ाता कौन है|
संसार में हारे-थकों को छोड़ के,
बोझ दुनियावी उठाता कौन है?
न्याय की बातें तुका सुनता यहाँ,
न्याय पीड़ित को दिलाता कौन है?

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