Sunday, July 12, 2015

झेलना सीखो कुछ सन्ताप|

अगर आपको सच्चाई से, करना मेल-मिलाप,
झेलना सीखो कुछ सन्ताप|
झेलना सीखो कुछ सन्ताप||
गुणी नहीं थे उनके जैसे, पर सुकरात जिये थे कैसे,
गलीलियों के जीवन हन्ता, अति मूरख थे ऐसे-वैसे|
सत्ता की काली करतूतें, सब तो कहें न पाप,
झेलना सीखो कुछ सन्ताप|
झेलना सीखो कुछ सन्ताप||
शिव ने पिया गरल जब सारा, बही प्रेम की तब शुचि धारा,
प्रकृति प्रदत्त नियम ये समझो, नहीं प्रकाश तिमिर से हारा|
युग प्रबोधकों की होती है, सबसे न्यारी छाप,
झेलना सीखो कुछ सन्ताप|
झेलना सीखो कुछ सन्ताप||
सन्त कबीरा ने सब खोया, मीरा, शैली, फैज न रोया,
चेतनता जाग्रत जो करता, वह जीवन में रंच न सोया|
सच्चाई को सिवा सत्य के, कौन सका है माप?
झेलना सीखो कुछ सन्ताप|
झेलना सीखो कुछ सन्ताप||

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