Friday, July 31, 2015

जिन्हें है सत्ता का अभिमान


गाली देना गरल उगलना, अब उनकी पहचान|
जिन्हें है सत्ता का अभिमान||
जिन्हें है सत्ता का अभिमान|||
तर्क नहीं दिखता बातों में, बेहद जहर भरा आतों में,
पूरी क्षमता लगा रहे हैं, नफरत पोषित उत्पातों में|
फैलाने पर तुले हुये हैं, वे जड़ता अज्ञान| 
जिन्हें है सत्ता का अभिमान||
जिन्हें है सत्ता का अभिमान|||
लेकर पूरा खर्चा- पानी, बदले में करते मनमानी,
शैतानी की दूषित वानी, कही जा रही है विज्ञानी|
खींच-तान के यत्नों से वे, करते निज उत्थान|
जिन्हें है सत्ता का अभिमान||
जिन्हें है सत्ता का अभिमान|||
खपा दिये जो जीवन सारा, उनको बना दिया बेचारा,
गाँव-शहर के चौबारों पर, गूँज रहा जय का जयकारा|
सीधे -साधे इन्सानों का, वे करते अपमान| 
जिन्हें है सत्ता का अभिमान|| 
जिन्हें है सत्ता का अभिमान|||

No comments:

Post a Comment