Saturday, May 6, 2017

यह कैसा अनुराग

यह कैसा अनुराग हमारी आँखों में,
सम्मोहन की आग हमारी आँखों में।
सबको ठंडी छाँव फूल-फल देते हैं,
अपनेपन के बाग हमारी आँखों में।
भूल गये वे दंश ज़िंदगी बदल गई,
आश्रय पाये नाग हमारी आँखों में।
गंगा जैसा नीर प्रवाहित करने को,
बसे पवित्र प्रयाग हमारी आँखों में।
तुका प्रबोध प्रकाश तर्क के पानी से,
रहे न दूषण दाग हमारी आँखों में।

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