Saturday, October 27, 2012

भैया:-

सुनो! हमारे भैया ,
क्या कहती गौरैया?

उजड़ रहा है चमन हमारा,
कहीं न दिखता सहज सहारा,
पता नहीं क्यों सभी-सभी से-
अब तो करने लगे किनारा|
बहुत दुखी है हाल देखकर-

अपनी भारत मैया|
सुनो हमारे भैया--

आओ बैठो पास हमारे,
दूर न जाओ ह्रदय दुलारे,
रूठे रहना ठीक नहीं है -
आर्त भाव से वक्त पुकारे|
जो न समझते सच्चाई को-
उनका कौन बचैया|
सुनो! हमारे भैया,
कहती है गौरैया|

अगर पूर्ण करना है सपना,
आँख कान मुँह खोलें अपना,
लोकतंत्र के लिए न्याय का,
स्नेह सिक्त अपनायें नपना|
जो न चलते साथ समय के-
करते ताता-थैया|
सुनो! हमारे भैया,
कहती है गौरैया---

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