Sunday, October 7, 2012

ठग साठ साल बाद बेहतरीन हो गया|
परतंत्रता बिसार के स्वाधीन हो गया|| 

यह गूंजता सबाल हैं हर गाँव शहर में,
विद्वान क्यों समाज से दो तीन हो गया?

बम दाग कर चला गया वो ईश नाम से,
उसका किया कुकर्म भी आमीन हो गया|

अफसोस के सिवाय कोई है उपाय क्या,
गुरु का चरित्र देखिये गुणहीन हो गया|

अब राजनीति में यहाँ विद्रोह-सा मचा,
सदभाव शिखर पर छली आसीन हो गया|

सच है तुका कि आदमी की बात हो रही,
पर जो गरीब है वही तो दीन हो गया|

No comments:

Post a Comment