Sunday, October 7, 2012


पहचान बदल डाली तहरीर बदल डाली,
सच है कि जमाने की तस्वीर बदल डाली|

कुछ नेत्र यहाँ हैं जो सच देख रहे सबका,
सरकार छिन गई तो तकरीर बदल डाली|

जिनको न यहाँ मिलती थी प्याज नमक रोटी,
उनकी नये ख्याल ने तकदीर बदल डाली|

नफ़रत जिन्हें हमेशा उपहार में मिली है,
उन शील साधकों ने शमसीर बदल डाली|

यह बात जरा सी है पर है नजीर युग की,
श्रम ने अनीतियों की जंजीर बदल डाली|

हर भांति 'तुका' उनके संपर्क बनाये है ,
जलवायु की जिन्होंने तासीर बदल डाली|

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