Saturday, November 27, 2010

दुलार दो

जातियां  होती   नहीं    इनको   नकार दो,
आदमी   को  आदमीयत   से   सवांर  दो,
थाम ली है जब कलम कवि के स्वरूप में -
तो सभी  को आप   अपनों सा दुलार  दो   |   

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