Saturday, November 6, 2010

Ferj kavi

गीत  बेखौफ   गाता रहूँगा 
फ़र्ज़ कवि का निभाता रहूँगा

कल न शायद रहूँ इस जहाँ में
पर तुम्हें याद आता रहूँगा

चेतना शून्य  जो हो गए  हैं
उन सभी को जगाता रहूँगा

ये वदन जीर्द

No comments:

Post a Comment