Wednesday, January 25, 2012

जहाँ मुसीबत घिरी मिलेगी,वहीँ मिलेगा निदान उसका|
करुण प्रभा है दया क्षमा में,बहुत बड़ा है वितान उसका||

प्रिये! कथा का न अंत कोई,विवेक बोधक ज्ञान बढ़ेगा|
सतत परीक्षण करने वाला, खुले दृगों से शब्द पढ़ेगा|
परवर्तन है नियम प्रकृति का,नहीं बदलता विधान उसका|
करुण प्रभा है दया क्षमा में,बहुत बड़ा है वितान उसका||

सकल जगत में कभी किसी का,नहीं बना साम्राज्य बनाये|
खड्ग कृपाणें धरीं रह गईं, नृप जन-मन को जीत न पाये||
चला अनय के पथ पर जो भी,मिटा हमेशा गुमान उसका|
करुण प्रभा है दया क्षमा में,बहुत बड़ा है वितान उसका||

यही सुपथ है यही भलाई,करें ठगी से नहीं कमाई |
जमीं युगों से विकार काई,करें उसी की स्वतः सफाई||
सदाचरण को वरण किया जो, रहा प्रशासन महान उसका||
करुण प्रभा है दया क्षमा में,बहुत बड़ा है वितान उसका||

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