द्वंद्व गीत:-
सुधरो सुधरो वरना, बाहर निकाल देंगे|
वे खींच खाल लेंगे, वे खींच खाल लेंगे||
वे खींच खाल लेंगे, वे खींच खाल लेंगे||
कुछ आकर्षण के आदी, करते जन धन बर्बादी|
इनके कारण से भूखी- दिखती आधी आबादी||
समझो समझो वरना, जनता को बहका के-
करवा बवाल देंगे, बाहर निकाल देंगे|
वे खींच खाल लेंगे, वे खींच खाल लेंगे||
इनके कारण से भूखी- दिखती आधी आबादी||
समझो समझो वरना, जनता को बहका के-
करवा बवाल देंगे, बाहर निकाल देंगे|
वे खींच खाल लेंगे, वे खींच खाल लेंगे||
कथनी में शहद मिला है, करनी चौबन्द किला है|
बाहर से नहीं शिकायत, घर भीतर बढ़ा गिला है||
परखो परखो वरना, वे अपने बलबूते-
दिखला कमाल देंगे, बाहर निकाल देंगे|
वे खींच खाल लेंगे, वे खींच खाल लेंगे||
बाहर से नहीं शिकायत, घर भीतर बढ़ा गिला है||
परखो परखो वरना, वे अपने बलबूते-
दिखला कमाल देंगे, बाहर निकाल देंगे|
वे खींच खाल लेंगे, वे खींच खाल लेंगे||
यदि पूरा करना सपना, तो करो परीक्षण अपना|
ठग दगाबाज़ रखते हैं, छल छद्मों वाला नपना||
बदलो बदलो वरना, जो तुरत फाँस लेते,
वह डाल जाल देंगे, बाहर निकाल देंगे|
वे खींच खाल लेंगे, वे खींच खाल लेंगे||
ठग दगाबाज़ रखते हैं, छल छद्मों वाला नपना||
बदलो बदलो वरना, जो तुरत फाँस लेते,
वह डाल जाल देंगे, बाहर निकाल देंगे|
वे खींच खाल लेंगे, वे खींच खाल लेंगे||
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