Tuesday, September 13, 2016

:तर्क नैन दो खोल::

::::::::तर्क नैन दो खोल:::::::::
संभलो- संभलो बदल न जाये, दुनिया का भूगोल।
दरिंदे करें ईश का रोल।।
दरिंदे करें ईश का रोल।।।
जहाँ बने हैं घर बहुखंड़ी, जहाँ अनैतिक लगती मंडी।
वहाँ देखिये कई करोड़ों, वदनों पर है शेष न बंडी।।
भूमि- गगन के बीच ध्वंस के, यान रहे हैं डोल।
दरिंदे करें ईश का रोल।।
दरिंदे करें ईश का रोल।।।
दहशतगर्दों वाली टोली, कहीं चला देती है गोली।
घिरी अंधेरों के घेरे में, रोती भूखी- प्यासी खोली।।
मिट्टी में मिल रहे करोड़ों, लाल रत्न अनमोल।
दरिंदे करें ईश का रोल।।
दरिंदे करें ईश का रोल।।।
अंदर घुटो नहीं कुछ बोलो, सच्चाई के साथी हो लो।
वक़्त पुकार दे रहा सुनिये, प्राणवायु के जैसा डोलो।
सदियों से जो सुप्त पड़े वे, तर्क नैन दो खोल।
दरिंदे करें ईश का रोल।।
दरिंदे करें ईश का रोल।।।

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