Saturday, September 3, 2016

***** फँसे हैं युवा बीच तूफ़ान *******

***** फँसे हैं युवा बीच तूफ़ान *******
बदल रहे हैं खेल खिलौने, दुनिया है हैरान|
फँसे हैं युवा बीच तूफ़ान||
फँसे हैं युवा बीच तूफ़ान|||
रिक्त करोड़ों यहाँ हाथ हैं, अंधकार से घिरे पाथ हैं|
वे अनाथ से दिखें देखिये, जो नाथों के बने नाथ हैं||
ध्वंस खोज में जुटा हुआ क्यों, वर्तमान विज्ञान?
फँसे हैं युवा बीच तूफ़ान||
फँसे हैं युवा बीच तूफ़ान|||
कार्य नहीं दिखते इंसानी, स्वार्थ सिद्धि में रत हैं ज्ञानी|
जलचर जल के बीच पिपासे, नभचर थलचर मांगें पानी||
बने हुये हैं चोर लुटेरे, अब तो विश्व- प्रधान|
फँसे हैं युवा बीच तूफ़ान||
फँसे हैं युवा बीच तूफ़ान|||
फ़ौज सँभाल रही सीमायें, फिरभी तस्कर आयें-जायें|
वोट बटोरें राष्ट्र- पुरोधा, गीत नीति के किसे सुनायें?
वक्त कसैला हुआ विषैला, छोड़ चुका ईमान| 
फँसे हैं युवा बीच तूफ़ान||
फँसे हैं युवा बीच तूफ़ान|||
लेखक हो तो आगे आओ, युगबोधक तस्वीर दिखाओ|
धर्म कर्म है यही काव्य का, दीन-हीन को कंठ लगाओ|| 
भारत की पहचान रहे हैं, साधक श्रमिक किसान|
फँसे हैं युवा बीच तूफ़ान||
फँसे हैं युवा बीच तूफ़ान|||

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