************* युगधर्मी सहगान ***************
सद्काम करो सद्काम करो,अपनों को मत बदनाम करो|
जन मन सब देख देख कहते,ठगुओं का काम तमाम करो||
जन मन सब देख देख कहते,ठगुओं का काम तमाम करो||
यह दौर चल रहा शैतानी, करता फिरता है मनमानी,
इसकी आदत है लूट-पाट, जन जीवन में खींचा-तानी|
इसके विरुद्ध चलना सीखो, संग्राम करो संग्राम करो,
ठगुओं का काम तमाम करो..............................||
इसकी आदत है लूट-पाट, जन जीवन में खींचा-तानी|
इसके विरुद्ध चलना सीखो, संग्राम करो संग्राम करो,
ठगुओं का काम तमाम करो..............................||
सच को सच सबसे कहो सदा, परिचर्चा करिये यदा-कदा,
खल छल बल से दे रहे यहाँ, भारी से अति भारी विपदा|
सब गाँव नगर हैं उजड़ रहे, फिर से भारत अभिराम करो,
ठगुओं का काम तमाम करो.................................||
खल छल बल से दे रहे यहाँ, भारी से अति भारी विपदा|
सब गाँव नगर हैं उजड़ रहे, फिर से भारत अभिराम करो,
ठगुओं का काम तमाम करो.................................||
मत भ्रमित रहो अभियानों से, टकराओ तो तूफानों से,
वह भव्य चरित्र नहीं बनते, जो पोषित हों अनुदानों से|
प्रिय राष्ट्र समृद्ध बनाने को, जनसेवा आठोंयाम करो,
ठगुओं का काम तमाम करो...............................||
वह भव्य चरित्र नहीं बनते, जो पोषित हों अनुदानों से|
प्रिय राष्ट्र समृद्ध बनाने को, जनसेवा आठोंयाम करो,
ठगुओं का काम तमाम करो...............................||
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