Wednesday, August 17, 2011

कवि बनना

कविता लिखना बहुत सरल है , कवि बनना आसन  नहीं है|
उसे कौन कवि कहे कि जिसको ,झूठ-सत्य का ज्ञान नहीं है||
काव्यशास्त्र के नियमों द्वारा, शब्द चयन कर यति-गति लय में,
संयोजित कर उथल-पुथल तो ,की जा सकती किसी ह्रदय में|
पर वह कविता नहीं की जिससे, होता जन कल्याण नहीं है||
कवि बनकर जो जिया न उसकी, कविता जीवन में मरती है|
लेकिन जो कवि बनकर लिखता ,उसे अमर कविता करती है||
सकल सृष्टि में कवि से बढ़कर ,कोई भी इंसान नहीं है|
कविता लिखना बहुत सरल है , कवि बनना आसन  नहीं है|





No comments:

Post a Comment