Friday, November 9, 2012


ज्योति पर्व का अर्थ यही है,अन्धकार छट जाये|
स्वार्थ सिद्धि दुर्वृत्ति व्यक्ति के,अंतर से हट जाये||

समरसता के दीप सर्वथा,वह प्रकाश फैलायें,
जिनके कारण दसों दिशायें,ज्योतिर्मय हो जायें||
नैतिकता के परिपालन का,प्रेम पाठ रट जाये|
स्वार्थ सिद्धि दुर्वृत्ति व्यक्ति के,अंतर से हट जाये||

आहें व्यथित कराहें सबकी,भलीभाँति पहचानें |
अपने ही समकक्ष सर्वथा,हर मानव को मानें||
भेद -भाव की दूषित खाई,यथाशीघ्र पट जाये|
स्वार्थ सिद्धि दुर्वृत्ति व्यक्ति के,अंतर से हट जाये||

समझ सकें सद्धर्म मर्म को,दर्प न मन में लायें|
सहकारी सहयोग सभ्यता,सदाचार अपनायें||
सर्जन पथ से निष्क्रियता का,दुष्प्रभाव घट जाये|
स्वार्थ सिद्धि दुर्वृत्ति व्यक्ति के,अंतर से हट जाये||

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