Thursday, November 1, 2012

प्रार्थना करना उसी की,
जो कि दायक हो,
याचना जिस द्वार से टाली नहीं जाये|

आज जो दानी छपे अखबार में,
बेच सकते वे तुम्हें बाजार में|
माँगना वरदान उससे,जो कि लायक हो,
रिक्त जिसके हाथ से थाली नहीं जाये|

याचना जिस द्वार से टाली नहीं जाये||

रार को क्या मान मिलता है कहीं?
प्यार से जग में बड़ा कुछ भी नहीं|
भावना चुनना वही जो,पथ प्रणायक़ हो,
जीभ तक विष से भरी प्याली नहीं जाये|
याचना जिस द्वार से टाली नहीं जाये ||

फूल शूलों से भला डरते कहाँ,
वे महकते हैं वहाँ रहते जहाँ|
कामना वो ही भली जो नय सहायक़ हो,
बाग से बाहर कभी माली नहीं जाये|
याचना जिस द्वार से टाली नहीं जाये|

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