Monday, November 5, 2012


एक समसामयिक गीत इसे मिलकर गुनगुनाइये:-

जिन हाथो में सौंप रहे हो, तुम अपनी तकदीर|
उन्होंने किये पाप गंभीर|
उन्होंने किये पाप गंभीर||
उन्होंने किये पाप गंभीर|||

साठ वर्ष तक सुविधाभोगी,भोगे भोग हो गये रोगी,
देश गर्त में डुबो चुके वे, जो बनते उत्थान प्रयोगी|
प्रगति विरोधी जिन पैरों में,जड़ता की जंजीर|
उन्होंने किये पाप गंभीर|
उन्होंने किये पाप गंभीर||
उन्होंने किये पाप गंभीर|||

एक फ़िक्र उनको सत्ता की,मतदाताओं के छत्ता की, 
यदपि आर्त भाव से गूंजे,विकल व्यथा पत्ता-पत्ता की|
ऐसे में भी बना रहे जो,शोषण से जागीर|
उन्होंने किये पाप गंभीर|
उन्होंने किये पाप गंभीर||
उन्होंने किये पाप गंभीर|||

अवसर है इनको पहचानो,इनका बातें सच मत मानो,
इन्हें सुहाती काली पूँजी,इनको मानव दुश्मन जानो|
हर चौराहे पर लटकी है,जिन-जिन की तस्वीर|
उन्होंने किये पाप गंभीर|
उन्होंने किये पाप गंभीर||
उन्होंने किये पाप गंभीर|||

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