Tuesday, November 13, 2012

तिमिर के बीच रहकर रौशनी के हेतु जीने का|
कहा जाता नहीं अब तो किसी से दर्द सीने का|| 

इसे मत भूल जाओ विश्व का इतिहास कहता है, 
सुनहरे दीपकों में तेल है श्रम के पसीने का|

उन्हें सम्मान देकर कौन -सी चाहत संजोये हो,
कि जिनका शौक है इंसानियत का रक्त पीने का||

उसी की नवप्रभा से कुछ प्रकाशित लोग हो सकते,
न होता रंग है बदरंग किंचित जिस नगीने का|

यहाँ जो बौद्ध हिन्दू जैन मुस्लिम सिक्ख ईसाई,
सभी को ख्याल रखना है मनुष्यों के करीने का|

यही तो विश्व की सुख- शान्ति के हित में जरूरी है,
नहीं उपहास करना है किसी के भी सफीने का|

किसी की बात को सुनकर भड़कना छोड़िये अबतो,
'तुका' मतलब समझना चाहिये काशी-मदीने का|

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