वो चाह रहा खोजना संकट निदान है,
जिसके न रही हाथ में सत्ता कमान है|
नायक उसे स्वदेश का जनता बता रही..
जो प्यार भरी राह का प्रेरक जवान है|
उसको न रहा बैर है इन्सान से कभी-
जो मान रहा शान से भारत विधान है|
उदघोष यही हो रहा उन्नति बड़ी हुई,
पर प्राण अभी दे रहा भूखा किसान है|
वो खोज करें आप जो धरती सँवार दे,
श्रीमान भयाक्रांत तो सारा जहान है|
क्यों बैर बढ़ा गैर सा जब मेल के लिए,
इन्जील अवेस्ता तुका गीता कुरान है|
जिसके न रही हाथ में सत्ता कमान है|
नायक उसे स्वदेश का जनता बता रही..
जो प्यार भरी राह का प्रेरक जवान है|
उसको न रहा बैर है इन्सान से कभी-
जो मान रहा शान से भारत विधान है|
उदघोष यही हो रहा उन्नति बड़ी हुई,
पर प्राण अभी दे रहा भूखा किसान है|
वो खोज करें आप जो धरती सँवार दे,
श्रीमान भयाक्रांत तो सारा जहान है|
क्यों बैर बढ़ा गैर सा जब मेल के लिए,
इन्जील अवेस्ता तुका गीता कुरान है|
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