शिखर से धरा पर उतरना पड़ेगा,
गहन धूल में ही सँवरना पड़ेगा|
सखे! लोकशाही यही कह रही है,
तुम्हें न्याय पथ से गुजरना पड़ेगा|
भले स्वप्न आते रहें आसमानी,
मगर भूमि ऊपर विचरना पड़ेगा|
अगर राजनैतिक प्रभा देखनी तो,
प्रखर धूप बनकर पसरना पड़ेगा|
सुबह की सुखद वायु के हेतु पहले,
विकट आँधियों में गुजरना पड़ेगा|
जिन्हें रत्न की कामना है उन्हें तो,
'तुका' सिंधु में भी उतरना पड़ेगा|
गहन धूल में ही सँवरना पड़ेगा|
सखे! लोकशाही यही कह रही है,
तुम्हें न्याय पथ से गुजरना पड़ेगा|
भले स्वप्न आते रहें आसमानी,
मगर भूमि ऊपर विचरना पड़ेगा|
अगर राजनैतिक प्रभा देखनी तो,
प्रखर धूप बनकर पसरना पड़ेगा|
सुबह की सुखद वायु के हेतु पहले,
विकट आँधियों में गुजरना पड़ेगा|
जिन्हें रत्न की कामना है उन्हें तो,
'तुका' सिंधु में भी उतरना पड़ेगा|
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