कभी दूसरों को सताये नहीं है,
भरे नैन डर से झुकाये नहीं है|
अगर हम तुम्हारे नहीं हो सके तो,
हुए आज तक भी पराये नहीं है|
उन्हें क्या पता पीर में पीर है क्यों,
जिन्होंने कभी दुख उठाये नहीं हैं|
उन्हें रौशनी में अँधेरा दिखे जो,
दृगों को अभी खोल पाये नहीं हैं|
खुली बात सुनते खुली बात कहते,
इशारे किसी को दिखाये नहीं हैं |
वही शील के मीत होते तुका जो,
सहज संतुलन को गँवाये नहीं हैं|
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