Tuesday, March 26, 2013

छूटे नहीं छुड़ाने से जो, और चमकता जाये|
ऐसे रंगों को ले करके, कोई आगे आये ||

जिये सदा जन-मन का होके, बढ़ते कदाचार को रोके,
जिसके दैनिक व्यवहारों से, अनुभव हों बयार के झोके|
जिसकी कथनी राष्ट्र-दृगों को, करनी में दर्शाये , 
ऐसे रंगों को ले करके, कोई आगे आये ||

सच से कभी न आँखें मींचे, नई पौध को रौपे सींचे, 
बुद्धि-विवेक युक्त बाहों से, प्रगति चक्र जो आगे खींचे|
पंचशील की क्षमताओं से, भेदभाव दफनाये|
ऐसे रंगों को ले करके, कोई आगे आये ||

हम भारत के लोग हमारा, जीवन लक्ष्य मनोरम न्यारा,
जिसको मानव में दिखता हो, मानव दर्शन चिंतन प्यारा|
सुख -समृद्धि का न्याय तिरंगा, जो नभ में फहराये|
ऐसे रंगों को ले करके, कोई आगे आये ||

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