Friday, May 17, 2013

अपने पर जो किये भरोसा, वही जगत के नूर बने|
उनके कार्यकलाप अनोखे, सामाजिक दस्तूर बने||

कवि कहते उन्मुक्त भाव से, समझी परखी बात सही,
इन्सानों की आदिकाल से, सर्जनात्मक सोच रही|
जिन लोगों को प्यार विश्व से, दस्तकार मजदूर बने|
उनके कार्यकलाप अनोखे, सामाजिक दस्तूर बने||

छिपी नहीं यह बात किसी से, बिना त्याग के प्यार नहीं,
परपीड़ा से व्यथित न जो हों, उनमें उच्च विचार नहीं |
परहित जो मजबूर बने वे, दुनिया में मशहूर बने|
उनके कार्यकलाप अनोखे, सामाजिक दस्तूर बने||

असमंजस से भरी ज़िन्दगी, समझो भारी बोझ बनी,
उसके दैनंदन कृत्यों में, हरदम रहती तना- तनी|
पर जो अवरोधों से लड़ते, वे सब सफल जरूर बने|
उनके कार्यकलाप अनोखे, सामाजिक दस्तूर बने||

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