मत कहो संसार में सब बेसबब होता रहा,
बस इसी विश्वास से अधिकार जन खोता रहा|
भाग्य की सारी कहानी लूटवादी कल्पना,
इस प्रखर पाखण्ड से बोझा ह्रदय ढोता रहा|
क्यों नहीं वंचित रहेगा वो सफल आयाम से,
मौज रूपी विस्तरे पर जो पड़ा सोता रहा|
ज़िन्दगी की डोर जिसने आप ही थामी नहीं,
वो गुलामों की तरह चुपचाप बस रोता रहा|
फल मधुर उसके पसीना से यहाँ फलते रहे,
बीज जो परमार्थ के निष्पृह यहाँ बोता रहा|
हाथ उसके शुद्ध मोती खोज लेते हैं 'तुका',
शब्द सागर में लगाता जो ह्रदय गोता रहा|
बस इसी विश्वास से अधिकार जन खोता रहा|
भाग्य की सारी कहानी लूटवादी कल्पना,
इस प्रखर पाखण्ड से बोझा ह्रदय ढोता रहा|
क्यों नहीं वंचित रहेगा वो सफल आयाम से,
मौज रूपी विस्तरे पर जो पड़ा सोता रहा|
ज़िन्दगी की डोर जिसने आप ही थामी नहीं,
वो गुलामों की तरह चुपचाप बस रोता रहा|
फल मधुर उसके पसीना से यहाँ फलते रहे,
बीज जो परमार्थ के निष्पृह यहाँ बोता रहा|
हाथ उसके शुद्ध मोती खोज लेते हैं 'तुका',
शब्द सागर में लगाता जो ह्रदय गोता रहा|
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