Wednesday, May 29, 2013

कवि जीवन मार्ग प्रेणता, होता पावन व्रतधारी|
अगुवाई कर कविता ने, मानव तस्वीर सँवारी||

जब कविता की क्षमता को, इन्सान समझने लगते,
सिंहासन हिल जाते हैं, सम्राट विलखने लगते|
स्वर-वर्णों की ज्वाला में, जल जाते अत्याचारी|
अगुवाई कर कविता ने, मानव तस्वीर सँवारी|||

अनुबंध किया कविता से, तो सविता बनकर चमको,
घर-आँगन गाँव-शहर क्या, अब दुनिया भर में गमको|
शुचि नैसर्गिक नियमों के, सर्जक सच्चे अधिकारी|
अगुवाई कर कविता ने, मानव तस्वीर सँवारी|||

अवनति उन्नति का क्रम तो, परिवर्तन का हिस्सा है,
रवि उगे न डूबे ज्यों, त्यों, कवि स्वर शाश्वत किस्सा है| 
सामाजिक मूल्य विधाता, अनुशासन धर्म प्रभारी|
अगुवाई कर कविता ने, मानव तस्वीर सँवारी||

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