Saturday, June 1, 2013

जुदाई की कमाई को कहा जाता तन्हाई है|
मगर सहयोगियों ने भी दिखाई बेबफाई है||

बिना परखे भरोसे के मिले अंजाम तो देखो,
तुम्हारे कारनामों ने तुम्हारी की धुनाई है|

शिकायत क्यों कहीं अपराध की कोई सुने बोलो, 
तुम्हीं ने दी उन्हें अपराधियों की रहनुमाई है?

मिटाये जुल्म जो बेख़ौफ़ होकर राष्ट्र-आँगन से, 
बताओ आजकल होती कहाँ ऐसी पढ़ाई है?

स्वतः पहचान अपनी जाति-धर्मों से कराने को,
उन्होंने बाँध ली रंगीन धागों से कलाई है|

भलाई को भलाई जो बुराई को बुरा कहता,
उसी की तो 'तुका' होती यहाँ पर जग हँसाई है|

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