Thursday, January 2, 2014

चौदह का गीत

जनसाधारण लोग देश के, चाह रहे अधिकार,
उपेक्षित करने लगे विचार|
उपेक्षित करने लगे विचार||

जो करते हैं धोखेबाजी, वे ही करें फैसले काजी,
मजलूमों की पीड़ाओं को, सुनके बरसाते नाराज़ी|
ऐसों का अनिवार्य हो गया, अब करना प्रतिकार,
उपेक्षित करने लगे विचार|
उपेक्षित करने लगे विचार||

अपने मत का अभिमत जानें, झूठ-सत्य के स्वर पहचानें,
सम्विधान सम्वाद सिखाता, नहीं अकारण जिद को ठानें|
लोकतन्त्र ने बना दिया है, हमें एक परिवार, 
उपेक्षित करने लगे विचार|
उपेक्षित करने लगे विचार||

दिल्ली ने दिल है दहलाया, लोकसभा निर्वाचन आया,
भूखे- प्यासे मजलूमों ने, राजनीति में पैर बढ़ाया|
मठाधीशियों से मुकाबला, करना है स्वीकार, 
उपेक्षित करने लगे विचार|
उपेक्षित करने लगे विचार||

न्यायनीति के सजग सिपाही, लोकतंत्र के सच्चे राही,
सत्ता उनके पास न जाये, जो करते रहते मनचाही|
सकल प्रशासन को देना है, नव्य सुधार निखार, 
उपेक्षित करने लगे विचार|
उपेक्षित करने लगे विचार||

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