Tuesday, January 14, 2014

यहाँ आँसू बहाने

यहाँ आँसू बहाने के सिवा क्या हाथ आता है?
वहाँ आँखें छिपाने के सिवा क्या हाथ आता है?

प्रिये! इन्सान का दर्जा मिला तो प्यार फैलाओं,
भला मौका गँवाने के सिवा क्या हाथ आता है?

नहीं दौलत किसी को चैन दे पाती जरा सोचो,
मिला जीवन मिटाने के सिवा क्या हाथ आता है?

जिन्हें शालीन पर्दे पर सजाकर सामने लाते,
उन्हें से दौलत कमाने के सिवा क्या हाथ आता है?

किया करते डकैती जो ठगी रुतबा दिखाने को,
उन्हें जिल्लत उठाने के सिवा क्या हाथ आता है?

लिखा करते तुका जो छंद मानव के हितैषी हो,
उन्हें खुद को रुलाने के सिवा क्या हाथ आता है?

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