Friday, January 10, 2014

किसके धन पर किसके बल पर, कुचले गये गरीब,
समझिये किसके कौन करीब?
समझिये किसके कौन करीब?

इनका दावा राष्ट्रभक्त हैं, वे कहते आज़ादी दी है,
इन दोनों के सिवा बताओ, किसने दी ये बर्बादी है? 
शासन सत्ता हथियाने को, खुद बन गये रकीब,
समझिये किसके कौन करीब?
समझिये किसके कौन करीब?

जाति- वर्ग की ठेकेदारी, धीरे- धीरे फैलायी है,
लाचारों को जूठन देके, धर्म पताका फहरायी है|
ऐसे पेट निकल आये हैं, सूरत हुयी अजीब, 
समझिये किसके कौन करीब?
समझिये किसके कौन करीब?

पूँजीपतियों को सुविधायें, शक्तिशालियों की मनमानी,
विज्ञापनदाता बन बैठे, कर्ण -दधीच सरीखे दानी| 
ठग्गू ढोंगी पढ़ा रहे हैं, अच्छा- बुरा नसीब,
समझिये किसके कौन करीब?
समझिये किसके कौन करीब?

आज लोकशाही शासन में, जिनको मिलने मान लगा है,
उनके साथ धर्मतन्त्रों ने, किया अनैतिक जुल्म दगा है|
भोगवादियों ने शोषण की, अपना ली तरकीब, 
समझिये किसके कौन करीब?
समझिये किसके कौन करीब?

वक्त कह रहा मजलूमों से, वोट्शक्ति की क्षमता जानो,
कौन आपके हितवर्धक हैं, उन्हें आचरण से पहचानो|
हारे-थके किसान कमेरे, दुख में पड़े अतीब| 
समझिये किसके कौन करीब?
समझिये किसके कौन करीब?

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