Tuesday, January 28, 2014

लोकतंत्र पैगाम

नत मस्तक हो संविधान को, पहले करो सलाम,
यही है लोकतंत्र पैगाम|
यही है लोकतंत्र पैगाम||

कभी न छोड़ो सज्जनता को, तजो सोच से दुर्बलता को,
मिला अजय अधिकार वोट का, गले लगाओ निर्भयता को|
सदाचार के सहयोजन से, रखिये उच्च ललाम|
यही है लोकतंत्र पैगाम|
यही है लोकतंत्र पैगाम|| 

कहें वक्त जो उसको जानो, नहीं बेबजह जिद को ठानो,
बड़ी शक्ति है नैतिकता में, इसे आचरित कर पहचानो|
अलगावों से नहीं मिलेंगे, सरस सुखद परिणाम,
यही है लोकतंत्र पैगाम|
यही है लोकतंत्र पैगाम|| 

समझ बढ़ाओ प्रिय! इन्सानी, अब छोड़ो- छोड़ो शैतानी,
फिर अतीत के राग न छेड़ो, नहीं सफल होते अभिमानी|
बहुत हो चुका और न करिये, अपने को बदनाम,
यही है लोकतंत्र पैगाम|
यही है लोकतंत्र पैगाम|| 

जो कर सकते वही बोलिये, बंद न रखिये नैन खोलिये,
सर्जनात्मक सोच बना के, प्राणवायु- सा सदा डोलिये|
युवां देश के कर सकते हैं, भारत को अभिराम, 
यही है लोकतंत्र पैगाम|
यही है लोकतंत्र पैगाम||

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