हाथ में हाथ सबसे मिलाते नहीं,
शान शौकत हमेशा दिखाते नहीं|
आसमां शीश ऊपर उठाते नहीं|
शक्ति बेकार में तो गँवाते नहीं|
कौन-सा राष्ट्रहित वे करेंगे कहो,
जो सुबह विस्तरा छोड़ पाते नहीं|
हाल बेहाल उनका हुआ क्या कहें,
शिष्य भी आजकल पास जाते नहीं|
मित्र से क्या शिकायत करें वे भला,
शत्रु भी शत्रुता अब निभाते नहीं |
वक्त ने इस तरह से सताया 'तुका'
अश्रु आते नहीं मुस्कराते नहीं|
शान शौकत हमेशा दिखाते नहीं|
आसमां शीश ऊपर उठाते नहीं|
शक्ति बेकार में तो गँवाते नहीं|
कौन-सा राष्ट्रहित वे करेंगे कहो,
जो सुबह विस्तरा छोड़ पाते नहीं|
हाल बेहाल उनका हुआ क्या कहें,
शिष्य भी आजकल पास जाते नहीं|
मित्र से क्या शिकायत करें वे भला,
शत्रु भी शत्रुता अब निभाते नहीं |
वक्त ने इस तरह से सताया 'तुका'
अश्रु आते नहीं मुस्कराते नहीं|
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