Sunday, July 7, 2013

चेतना जाग्रत

चेतना जाग्रत करे जो वो कहानी जानिये|
बैठिये नजदीक आकर जिंदगानी जानिये||

वाहवाही लूटने की शक्तियाँ जिसमें भरी,
सभ्यता संवेदना की काव्यवाणी जानिये|

मानता हूँ वो किसी की वाटिका में कैद है, 
पर महकती जो यहाँ वो रातरानी जानिये|

बंधनी सी अब दिखाई दे रही लेकिन कभी,
लोकशाही भावना मत खानदानी जानिये|

जो सुनी सुनते सुनाते आ रहे हो आदि से, 
वो कथा है सत्य कितनी संत ज्ञानी जानिये? 

यूँ किसी को ज्ञात अगला पल नहीं होता मगर,
शायरों की ज़िन्दगी को गैरफानी जानिये|

भौतिकी विज्ञान के इस दौर में सोचो 'तुका',
क्या सिखाती हैं किताबें आसमानी जानिये?

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