एक गीत:-
टूटे दिल भी मिल सकते हैं, मृदु बोल भरे उपहारों से|
लगने लगते जन दुश्मन हैं, लोलुपवादी तकरारों से||
लगने लगते जन दुश्मन हैं, लोलुपवादी तकरारों से||
यह बात समझ से बाहर है, इन्सानों में जातें होती,
इनसे सामाजिक जीवन में, घातों की बरसातें होती|
विश्वास हमारे खतरे में, पड़ जाते धर्म विचारों से,
लगने लगते जन दुश्मन हैं, लोलुपवादी तकरारों से||
इनसे सामाजिक जीवन में, घातों की बरसातें होती|
विश्वास हमारे खतरे में, पड़ जाते धर्म विचारों से,
लगने लगते जन दुश्मन हैं, लोलुपवादी तकरारों से||
इन नीले पीले रंगों ने, केसर की लाल उमंगों ने,
कटुता के सिवा दिलाया क्या, इन वोट लालची जंगों ने?
वंचित कर दिया वंचितों को, वैधिक मौलिक अधिकारों से|
लगने लगते जन दुश्मन हैं, लोलुपवादी तकरारों से||
कटुता के सिवा दिलाया क्या, इन वोट लालची जंगों ने?
वंचित कर दिया वंचितों को, वैधिक मौलिक अधिकारों से|
लगने लगते जन दुश्मन हैं, लोलुपवादी तकरारों से||
परिवर्तन लाना है जिनको, संवर्धन करना है जिनको,
भारत में शील भावना का, अभिनंदन करना है जिनको|
उन सबके लिए जरूरी है, जुड़ जाना बौद्धिक द्वारों से|
लगने लगते जन दुश्मन हैं, लोलुपवादी तकरारों से||
भारत में शील भावना का, अभिनंदन करना है जिनको|
उन सबके लिए जरूरी है, जुड़ जाना बौद्धिक द्वारों से|
लगने लगते जन दुश्मन हैं, लोलुपवादी तकरारों से||
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