Wednesday, August 3, 2016

टूटे दिल भी मिल सकते हैं,

एक गीत:-
टूटे दिल भी मिल सकते हैं, मृदु बोल भरे उपहारों से| 
लगने लगते जन दुश्मन हैं, लोलुपवादी तकरारों से||
यह बात समझ से बाहर है, इन्सानों में जातें होती,
इनसे सामाजिक जीवन में, घातों की बरसातें होती| 
विश्वास हमारे खतरे में, पड़ जाते धर्म विचारों से, 
लगने लगते जन दुश्मन हैं, लोलुपवादी तकरारों से||
इन नीले पीले रंगों ने, केसर की लाल उमंगों ने,
कटुता के सिवा दिलाया क्या, इन वोट लालची जंगों ने? 
वंचित कर दिया वंचितों को, वैधिक मौलिक अधिकारों से| 
लगने लगते जन दुश्मन हैं, लोलुपवादी तकरारों से||
परिवर्तन लाना है जिनको, संवर्धन करना है जिनको,
भारत में शील भावना का, अभिनंदन करना है जिनको|
उन सबके लिए जरूरी है, जुड़ जाना बौद्धिक द्वारों से| 
लगने लगते जन दुश्मन हैं, लोलुपवादी तकरारों से||

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