Saturday, August 20, 2016

कहा नहीं जाता है कुछ भी



कहा नहीं जाता है कुछ भी गाली देने वालों से।
सही नहीं माना जाता है, मेल बढ़ाना व्यालों से।।
नव परिवर्तन आ सकता है, अगर कार्य हों विज्ञानी।
नफ़रत पोषित भाषा त्यागें, राह पकड़ लें इन्सानी।।
वहाँ रौशनी नहीं पहुँचती, बन्द गेह जो तालों से।
दो के बीस बनाने वाले, सचमुच ठग कहलाते हैं।
ठगुओं से ही तो ठगुओं के, बनते रिश्ते- नाते हैं।।
प्रगति वही कर पाये जग में, जो निकले जंजालों से।
इन्सानों का धर्म एक है, सबको अपनों -सा मानें।
एक वृक्ष के हम सब पत्ते, इस सच्चाई को जानें।।
हमें शीघ्र आना ही होगा, बाहर विषद बवालों से।
सही नहीं माना जाता है, मेल बढ़ाना व्यालों से।।

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