राष्ट्र प्रगति की कभी न मंदिम, पड़ने पाये लय,
जयति जय भारत माँ की जय।
जयति जय भारत माँ की जय।
केसर पूरित आनन इसका, पग चंदन सद्गंध,
भुज विशाल पूरब-पश्चिम के, आलिंगन अनुबंध।
जन गण मन के अभिनंदन का, स्वर्णिम सूर्योदय,
जयति जय भारत माँ की जय।
भुज विशाल पूरब-पश्चिम के, आलिंगन अनुबंध।
जन गण मन के अभिनंदन का, स्वर्णिम सूर्योदय,
जयति जय भारत माँ की जय।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, सब इसकी संतान,
बौद्ध बहाई जैन पारसी, करते मिल गुणगान।
माँ की गोदी आश्रय देती, सिर पर नील निलय,
जयति जय भारत माँ की जय।
बौद्ध बहाई जैन पारसी, करते मिल गुणगान।
माँ की गोदी आश्रय देती, सिर पर नील निलय,
जयति जय भारत माँ की जय।
अरसठ वर्षों की आज़ादी, देती शुचि संदेश,
लोकतन्त्र के हम हैं राही, हरें सभी के क्लेश।
संविधान की यही भावना, जग को करें अभय,
जयति जय भारत माँ की जय।
लोकतन्त्र के हम हैं राही, हरें सभी के क्लेश।
संविधान की यही भावना, जग को करें अभय,
जयति जय भारत माँ की जय।
पंचशील के हम अनुयायी, विश्व शांति के मीत,
मानवता है गीत हमारा, सकल प्रकृति से प्रीत।
हम सबकी पहचान एक है, हम सब एक ह्रदय।
जयति जय भारत माँ की जय।
मानवता है गीत हमारा, सकल प्रकृति से प्रीत।
हम सबकी पहचान एक है, हम सब एक ह्रदय।
जयति जय भारत माँ की जय।
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