Sunday, April 2, 2017

हम हैं सबके

मार्ग मिला है ऊँचा-नीचा, शूलों से भरपूर|
हमारी मंजिल तो है दूर||
हमारी मंजिल तो है दूर|||
चलते रहे नहीं कुछ पाया, रुखा-सूखा हँसकर खाया,
रंच थकावट अभी न आई, यद्दपि अब चौथापन आया|
मौसम बदले नहीं लगाया, उन पर कभी कसूर|
हमारी मंजिल तो है दूर||
हमारी मंजिल तो है दूर|||
सोच समझ आये इंसानी, मिले सभी को भोजन पानी,
लोकतन्त्र के सम्विधान में, कोई बने न राजा- रानी|
लक्ष्य यही है यही प्रभावी, करना है दस्तूर|
हमारी मंजिल तो है दूर||
हमारी मंजिल तो है दूर|||
मानवता की परिभाषा को, मतदाता की अभिलाषा को,
बंधु परखना हुआ जरूरी,जन-गण-मन की जिज्ञासा को|
हम हैं सबके इसी नीति को, करना है मंजूर|
हमारी मंजिल तो है दूर||
हमारी मंजिल तो है दूर|||

No comments:

Post a Comment