हम
सम्विधान के पालक हैं,शुचि सम्विधान रखवाले हैं|
यदि सम्विधान को छेड़ा तो, कुछ हो सकते मतवाले हैं|| |
यह बात खुली है कहने दो, इस पर पर्दा
मत रहने दो,
जन मन न प्रदूषित हो पाये,नित
प्राणवायु को बहने दो|
हम उनकी व्यथा कहेंगे ही, जिनको रोटी
के लाले हैं|
यदि सम्विधान को छेड़ा तो, कुछ हो सकते
मतवाले हैं||
हम नारे नहीं लगाते हैं, चेतनता बोध
जगाते हैं,
भारतवासी को भारत के, बाहर न कभी
भागते हैं|
हम स्वानुभूति के गायक हैं, मुँह पर न
लगाते ताले हैं|
यदि सम्विधान को छेड़ा तो, कुछ हो सकते
मतवाले हैं||
हम लोकतन्त्र के दीवाने, हमने विवेक
के ध्वज ताने,
सुख-शांति विश्व को देते जो, वे मूल्य
सुहाने पहचाने|
हम राष्ट्र तिरंगे के साथी, करते सहयोग
उजाले है|
यदि सम्विधान को छेड़ा तो, कुछ हो सकते मतवाले
हैं||
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