Saturday, April 8, 2017

पाप से दूर हूँ|

मानता हूँ कि मैं आप से दूर हूँ|
अर्थ सन्सार के पाप से दूर हूँ||
बाप के तेज का तेज है चित्त में,
किन्तु रहता खुदा बाप से दूर हूँ|
बाँटता जो कि छोटे बड़ों में रहा,
धर्म के छद्म परिमाप से दूर हूँ |
संत-सा आचरण जी रहा सर्वदा,
लोभ की सोच के जाप से दूर हूँ|
बोध में तो नहीं सरहदों की कथा,
स्वार्थ से युक्त सन्ताप से दूर हूँ|
जो किसी पर करे बार छुप के सखे,
शक्ति के उस प्रखर चाप से दूर हूँ||

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