Wednesday, October 5, 2011


 

ग्राम देवता --
गाँवों से पहचान जुड़ी है, अपनी बड़ी पुरानी |
है स्वदेश कि शान हमारी, खेती और किसानी||
भोर-भोर से अपने-अपने, कामों पर जाते हैं |
एक साथ मिल पुनः शाम को, प्रेम गीत गाते हैं||
... पाने को समृद्धि सुनायी, जाती कर्म-कहानी |
है स्वदेश कि शान हमारी, खेती और किसानी||
शक्ति पुंज हैं बैल हमारे, हल लेकर कलते हैं|
गाय-भैस के दूध-पूत से, बाल-वृद्ध पलते हैं||
दूध दही घी के प्रभाव से, महके सरस जवानी |
है स्वदेश कि शान हमारी, खेती कला किसानी||
तिलहन गेहूँ धान चने की,फ़सल उगाते आये|
उपज बढ़ाने को दलहन की,नवल बीज अपनाये||
अगहन पौष माघ रातों में, देते रहते पानी |
है स्वदेश की शान हमारी, खेती और किसानी||
ग्राम देवता की पदवी को, बहा पसीना पाये |
श्रम सीकर ही तो नगरों में, चमक दमक पहुँचाये||
श्रमिक-कृषक हैं इस धरती के शुच सपूत दानी |
है स्वदेश की शान हमारी, खेती और किसानी||
संस्कृति समझ सभ्यता अपनी,गाँवों की बस्ती है|
वहीँ सुरक्षित भारत माँ की, सदियों की हस्ती है ||
गाँव स्रोत हैं श्री वैभव के, जिनकी झलक सुहानी|
है स्वदेश कि शान हमारी, खेती और किसानी||
 
 
 
 

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