Friday, October 21, 2011

घर- परिवारों के रिश्तों में

घर- परिवारों के रिश्तों में, बड़ी गिरावट आई है|
भौतिकता ने नैतिकता की,खड़ी फस्ल कटवाई है||

जिसने अपना दूध पिलाया, सबसे पहला शब्द सिखाया|
भूख-प्यास को सहकर हरदम,पका-पका जिसे खिलाया||
उसी पुत्र के द्वारा माँ ने, विपदा विपुल उठाई है|
भौतिकता ने नैतिकता की,खड़ी फस्ल कटवाई है||

जिसने अंगुली पकड़ चलाया,अपने कन्धों पर बैठाया|
विविध विषाक्त परिस्थितियों में,जिसका वर्षों साथ निभाया||
उसी पुत्र ने वृद्ध पिता की, प्यास न कभी बुझाई है|
भौतिकता ने नैतिकता की, खड़ी फस्ल कटवाई है||

जिसने बाबुल का घर छोड़ा,पत्नी धर्मं का नाता जोड़ा|
उसी कली के हाथ-पैर को, उसके गृहस्वामी ने तोडा ||
सुमन सुहानी सुन्दर काया, धन के लिए जलाई है |
भौतिकता ने नैतिकता की,खड़ी फस्ल कटवाई है||

जिसने सास श्वसुर ठुकराये,जेठ-जिठानी जिसे न भाये|
ननद देवरों ऊपर तीखे , शब्द- वाण बहुभाँति चलाये||
उस नारी ने मानवता की , शुचि पहचान मिटाई है |
भौतिकता ने नैतिकता की, खड़ी फस्ल कटवाई है||
 बड़ी गिरावट आई है|
भौतिकता ने नैतिकता की,खड़ी फस्ल कटवाई है||

जिसने अपना दूध पिलाया, सबसे पहला शब्द सिखाया|
भूख-प्यास को सहकर हरदम,पका-पका जिसे खिलाया||
उसी पुत्र के द्वारा माँ ने, विपदा विपुल उठाई है|
भौतिकता ने नैतिकता की,खड़ी फस्ल कटवाई है||

जिसने अंगुली पकड़ चलाया,अपने कन्धों पर बैठाया|
विविध विषाक्त परिस्थितियों में,जिसका वर्षों साथ निभाया||
उसी पुत्र ने वृद्ध पिता की, प्यास न कभी बुझाई है|
भौतिकता ने नैतिकता की, खड़ी फस्ल कटवाई है||

जिसने बाबुल का घर छोड़ा,पत्नी धर्मं का नाता जोड़ा|
उसी कली के हाथ-पैर को, उसके गृहस्वामी ने तोडा ||
सुमन सुहानी सुन्दर काया, धन के लिए जलाई है |
भौतिकता ने नैतिकता की,खड़ी फस्ल कटवाई है||

जिसने सास श्वसुर ठुकराये,जेठ-जिठानी जिसे न भाये|
ननद देवरों ऊपर तीखे , शब्द- वाण बहुभाँति चलाये||
उस नारी ने मानवता की , शुचि पहचान मिटाई है |
भौतिकता ने नैतिकता की, खड़ी फस्ल कटवाई है||

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