Friday, October 7, 2011

लोकतंत्रीय राज़
हारे-थके बोझ के मारें ,लोगों की आवाज़ |
उठाता लोकतंत्रीय राज़||
उठाता लोकतंत्रीय राज़ |||
 लोकतंत्र का मूलभाव है, कमजोरों की सेवा |
लाचारों को भी मिल पाये,सुविधाओं का मेवा||
स्नेह शक्ति से बढ़ती जाये,प्रगतिशील परवाज़|
हारे-थके, बोझ के मारें ,लोगों की आवाज़ |
उठाता लोकतंत्रीय राज़ ||

नागरिकों को हो स्वतंत्रता,निज अनुभव कहने की|
पढ़ने,लिखने, खाने-पीने, घर- बाहर रहने की ||
मेल-भाव की सरस धुनों पर, सदा बजायें साज़ |
हारे-थके, बोझ के मारें ,लोगों की आवाज़ |
उठाता लोकतंत्रीय राज़||

जीवन शैली राष्ट्र हितैषी, मानवता पोषक हो |
कथनी-करनी न्याय नीति से,परिपूरित रोचक हो||
विश्व एक परिवार हमारा, यही रहे अंदाज़ |
हारे-थके बोझ के मारें , लोगों की आवाज़ |
उठाता लोकतंत्रीय राज़ ||
उठाता लोकतंत्रीय राज़ |||

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