मुस्कराने से हमेशा रक्त बढ़ता मानिये|
अस्थियाँ मजबूत होती मांस चढ़ता मानिये||
आदमी अभ्यास करता जो सजग रहकर सदा,
वह सफलता के शिखर की ओर बढ़ता मानिये|
स्वार्थ विरहित जो रहे परमार्थ में तल्लीन वो,
विश्व के उत्थान के नव मूल्य गढ़ता मानिये|
आत्मबल पर जो भरोसा रख सके हर हाल में,
वो समय के सिंधु के उस पार कढ़ता मानिये|
राज्य से चाहत रखे भयग्रस्त जीवन जो जिये,
दोष अपने वो पराये शीश मढ़ता मानिये |
जिस ह्रदय को हो नहीं इच्छा अनैतिक लाभ की,
वो 'तुका ' इंसान प्रेमी गीत पढ़ता मानिये |
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