सर्ज़न का स्वर शब्द सुनाई देता है|
दृश्य क्षितिज के पार दिखाई देता है||
आम आदमी क्या देखो कप्तान यहाँ,
मुंशी को कुछ रपट लिखाई देता है|
लोग न मानें सत्य भले पर यदाकदा,
मानव को धन बहुत बुराई देता है |
न्यायालय के उच्चासन का स्वामी भी,
न्याय नीति को नहीं तिपाई देता है|
देख रहे सब लोग राज्य की करनी को,
मुक्त प्रशासन किसे सफाई देता है?
दौलत के सब रिश्तों का अंदाज़ यही,
कौन आजकल किसे कमाई देता है?
आँखें तब भर आती अपने आप तुका,
बेटी को जब बाप विदाई देता है|
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