किसी का नाम ऊँचा है किसी का काम ऊँचा है|
नहीं जो बिक रहा उसका लग रहा दाम ऊँचा है|
न कोई खास ऊँचा है न कोई आम ऊँचा है,
अगर ऊँचा यहाँ कोई महज बदनाम ऊँचा है|
अज़ब संसार है इसमें यही संग्राम ऊँचा है,
कहीं पर राम ऊँचा है कहीं पर श्याम ऊँचा है|
जरा-सी जब मिले फुर्सत इसे भी गौर से गुनिए,
किसी का दर्द जो हरता वही पैगाम ऊँचा है|
यहाँ तो मार्ग लोगों ने बनाये सैकड़ों उनमें,
खुला है जो उपेक्षित को वही आयाम ऊँचा है|
उठाकर शीश क्या उसको 'तुका' देखा किसे ने भी,
पहुँच से दूर वो सब के अनोखा धाम ऊँचा है|
नहीं जो बिक रहा उसका लग रहा दाम ऊँचा है|
न कोई खास ऊँचा है न कोई आम ऊँचा है,
अगर ऊँचा यहाँ कोई महज बदनाम ऊँचा है|
अज़ब संसार है इसमें यही संग्राम ऊँचा है,
कहीं पर राम ऊँचा है कहीं पर श्याम ऊँचा है|
जरा-सी जब मिले फुर्सत इसे भी गौर से गुनिए,
किसी का दर्द जो हरता वही पैगाम ऊँचा है|
यहाँ तो मार्ग लोगों ने बनाये सैकड़ों उनमें,
खुला है जो उपेक्षित को वही आयाम ऊँचा है|
उठाकर शीश क्या उसको 'तुका' देखा किसे ने भी,
पहुँच से दूर वो सब के अनोखा धाम ऊँचा है|
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