Thursday, January 10, 2013

एक गीत:-

प्रश्न पुराने उठा-उठाकर ,बहस कराते हैं|
आग लगाकर चतुराई से, वोट जुटाते हैं||

मीठी बातें करें कहीं पर,कहीं गरल उगलें,
आसमान में दौड़ लगायें,धरती पर फिसलें,
ऐसे रूढिग्रस्त सामंती,कलुष उपायों से-
भोले-भाले युवकों को बेहद बहकाते हैं|
आग लगाकर चतुराई से वोट जुटाते हैं||

छीना-झपटी लूट-पाटकर,आतप-सा पसरे,
कहने में अति कुशल मगर वे सुनने में बहरे,
बच्चा-बच्चा बोल रहा है चोर डकैत छली-
जाति-धर्म के बल पर सत्ता को हथियाते हैं|
आग लगाकर चतुराई से वोट जुटाते हैं||

मेरे-तेरे के घेरे में,खड़े-खड़े अकड़े,
स्वार्थ साँकलों से ठगुओं के हाथ-पैर जकड़े,
सागर पीकर भी बुझ पाई,प्यास नहीं जिनकी-
मरुस्थलों में वही दूध की नदी बहाते हैं|
आग लगाकर चतुराई से वोट जुटाते हैं||

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