Monday, January 21, 2013

अपनी सोच नहीं कुछ जिनकी,उन्हें विविध सम्मान,
कहें वे सत्ता को रहमान|
कहें वे सत्ता को रहमान||

इधर-उधर की बातें करते,राजकोष की जेब कतरते,
कुछ टुकड़ों के लिए शीश को,ठगुओं के पैरों में धरते|
कलम थामकर जो विकास के,पथ के हैं व्यवधान,
कहें वे सत्ता को रहमान|
कहें वे सत्ता को रहमान||

कभी अर्थ की कभी व्यर्थ की,बहस चलाते हैं अनर्थ की,
कमजोरों के बने विरोधी,चाटुकार कतिपय समर्थ के |
अनय समर्थक रूढ़िवाद के,परिपोषक शैतान,
कहें वे सत्ता को रहमान|
कहें वे सत्ता को रहमान||

लोकतंत्र को गरियाते हैं,सामंतों की जय गाते हैं,
शील-अहिंसा को धिक्कारें,चम्बलता को अपनाते हैं|
काले धन का करते रहते,जो आदन-प्रदान|
कहें वे सत्ता को रहमान|
कहें वे सत्ता को रहमान||

 

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